राजपूत शब्द का मतलब
राजपूत शब्द का मतलब
अंग्रेजो की मेहरबानी से आजके क्षत्रियो को राजपूत शब्द का मतलब तक नही पता । राजपूत शब्द को " राजस्थान " से जोड़कर देखते है।
जबकि यह सत्य नही है -- राजपूत शब्द का राजस्थान से तो कोई लेना देना ही नही है , ओर ना ही राजपूताने का राजस्थान से कोई लेना देना है ।
आप स्वयं सोचे --
ना तो राठौड़ मूल रूप से राजस्थान के है,
ना कुशवाह
ना यदुवँशी राजस्थान् मूल के है,
ओर ना ही तंवर राजस्थान मूल के है
यहां तक कि जिन महाराणा प्रताप का नाम गर्व से सुनते है, उनका खुद का मूल राजस्थान से नही है ।
राम के वंशजो की पुरानी गद्दी अयोध्या से शुरू होती है, कृष्ण की गद्दी भी द्वारिका से, यह दोनों ही प्रदेश राजस्थान में नही है, पांडव दिल्ली से है, ओर परमार, प्रतिहारो का गढ़ भी पूर्व में राजस्थान् के बाहर ही रहा है ।
राजस्थान में राजपूतो का जमघड़ लगने का एक ही कारण था, बॉर्डर से दुश्मन को देश मे ना घुसने दिया जाए । इसी कारण विभिन्न भारतीय प्रदेशो के राजपूतो ने राजस्थान में आके डेरा डाल लिया ।
राजपूत का अर्थ इस तरह है --
रज = मिट्टी
पूत = पुत्र
मिट्टी का पुत्र, राजपूत -- धरती का पुत्र राजपूत ।
जो अपना अस्तित्व मिट्टी से जोड़े, वह राजपूत । इसमे राजस्थान, उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र आदि को बीच मे लाने की आवश्यकता क्या है ??
राजपूतो का तो कोई एक प्रदेश कभी हो ही नही सकता।
राजपूत के घोड़े का मुख जिधर है, वहीं प्रदेश राजपूत का है , इस बात को भूलकर अगर आप प्रान्त के नाम पर लड़ते हो, ऊँचा या नीचा समझते हो, तो आपको अपने आप को ठीक कर लेना चाहिए ।
याद रखे --
ना कोई कश्मीर का
ना राजस्थान का
ना महाराष्ट्र का
ना हिमाचल का
सिंध से लेकर रामेश्वरम तक सभी राजपूत ---- राजपूत मतलब धरती पुत्र ।
क्षत्रिय केवल राजपूत --
राजपूत ओर क्षत्रिय में कोई भेद नही है ।
यह मराठा, राजपुताना, हिमाचली, पहाड़ी, यह सब आपस मे ऊंच नीच कर खुद को बर्बाद कर लेने के रास्ते है, इस रास्ते पर न चले ।
राजपूत शब्द का मतलब
Reviewed by Indrasinh solanki
on
October 11, 2018
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